बड़ी सरपणी सब गिल्या, बच्या राम की वोट।
माया सबली बहुत है, कहर काल की चोट।
देवा पंदरा अनरथ परख कै, त्यागे संत सुजान।
मूल सूल सुख जाण कै, धरै राम कौ ध्यान।
देवा माया सूल कौ मूल है, चाहि चुभै दिन रैण।
सुगरा त्यागै समझ कै, संता हंदै बैण॥