घर विरोध धूर थियां उदर वासी दरबासी।
घर विरोध पांडवां हुआ कुळ तणा बिनासी।
घर विरोध वनराय सहै, प्रहार कुहाड़ी।
घर विरोध बभीषण लंक पर हथे पाड़ी।
घर विरोध कदै न हुवै भलो पहिर घड़ी एको निमिख।
मम हुवो म हुवो उदैराज कहि घरि विरोध किण ही मिनिख ॥