ब्रह्म वेद उच्चरै, वीण तूंबर बजावै।
रम्भा अवसर रमैं, गीत सुरसत्ति गावै।
व्यास कथा बीणवै, पांव गंगा पखराळै।
इंद्र करै ओळगा, सेस सिर चम्मर ढाळै।
ससि सोळ कळा इम्रत स्त्रवै, सूरज जोत सुमंजरै।
अवगत्त नाथ ऊपर ‘अलू’, कमला सिर आरत्ति करै॥