चहूँ चक्क चल चलिय सेस चलिय सेस चलचलिय सहस सिर।
कमठ पीठ कलमलिय थहण दलमलिय सुचर थिर।
दहळे दिग्गज दिसा मेर मरजादा मुक्किय।
अदळ बदळ जळ उदध चंडि सिध आसन चुक्किय।
भयभीत हुआ चौदह भुवण, श्रवै गरभ तिय दिस दसिय।
रघुनाथ कहो सझ डबर रिण, कमर आज किण पर कसिय॥