अफळ रुंख अटकले, परा उड जाये पंखी।

सर सूको संपेख, कोइ हुवै तसु कंखी।

वळे पुहप विणवास, भमर मन मांहि भावै।

दव दाधो वन देखि, जीव सहु छोडि जावै।

निरधनां वेस नांणे नजरि, किणरौ वलभ कवण कहि।

स्वारथै आवी सेवे सहु, स्वारथ रौ संसार सही॥

स्रोत
  • पोथी : धर्मवर्द्धन ग्रंथावली ,
  • सिरजक : धर्मवर्द्धन ,
  • संपादक : अगरचंद नाहटा ,
  • प्रकाशक : सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर (राज.) ,
  • संस्करण : प्रथम