रापटरोळा छंद


 दूहौ

इला़ वायरस आवियौ,झाटक करण झपीड़।
भिड़ियौ भारत कमर कस,हमकै करण हबीड़॥

रापटरोळा छंद

तड़ड़ड़ आज बाजगी ताळी,थाळी तड़ड़ड़ कर बाजी।
गड़ड़ड़ गड़ड़ गरजियौ भारत,बड़ड़ड़ जीतण आ बाजी।
टणणण टणण हुवी टंकारां,घणणण टणणण घंट घुरै।
झणणण झणकार मृदंग रव झालर, शंख अवाज मजीर सरै।
हड़ड़ड़ हड़ड़ हुवी हुंकारां,जन-जन खड़कड़ खड़ड़ करै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोराना सूं जंग करै॥
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

देख़्यौ दुनि आज दहाड़तौ भारत,कोरोना सूं यूं लड़तौ।
घर घर गांव गळी अर सड़कां,जयकारां सह जस जड़तौ।
आपूं म्हैं रंग देस रै मिनखां,धड़ड़ड़ धड़ड़ड़  धर धूजी।
कड़ड़ड़ जांण बीजळी कड़की,गड़ड़ड़ गड़ री रव गूंजी।
बड़ड़ड़ जांण धमाका बंबां,अड़ड़ड़ कर कर अगन जरै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोरोना सूं जंग करै।
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

तिनकिट तिन तिन धिरकिट धिरकिट,सरपट सरपट जग मांही।
खटपट व्हैगी जग में खटखट,महाभट दुनिया डट  जांही।
घट घट में झट झट डर री अटपट,चटपट चटपट होय रही।
जमघट नहं एकठ जन-जन मरघट,फटफट दुनिया समझ रही।
हट हट रह अळगा कट कट मांणस,तट तट चहुंदिस गाज गिरै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोरोना सूं जंग करै॥
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

हळबळ हळ हळबळ आखै जग में,खळबळ खळबळ है माची।
छळबळ री बात छंटगी छळळळ,कळळळ रोग रास राची।
भळहळ भळळ भांण अब ऊगै,पळपळ काढ़ै लख किरणां।
इणरै ही ताप मिटै महामारी,झळ सूं रुकसी जन-मरणां।
कळकळ कर नीर समदर रुकियौ,थर थर थरहर जगत करै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोरोना सूं जंग करै॥
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

अमरीका आज बाज दुनि आई,गाज पड़ी अफ्रीका पर।
चीनी दळ खाज ऊपड़ी देहां,दाझ गई इटली धर पर।
धरिया सब साज लाज री मारां,जाज खड़ा सब समदर पर।
भूमि पर भाज भाज रा हैला,राज रोवियौ हालत पर।
कोरोना काज अकाज वसु पर,दाज दाज जन आज डरै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोरोना सूं जंग करै।
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

टोळा हद टोळ खोविया खोळा,चोळा धोळा धार लिया।
मोळा नहं मिनख झालिया झोळा,होळा होळा पार किया।
डोळा काढ डरायौ दुसमण,गोळा री गड़ड़ाट करै।
सड़ड़ड़ छौळां, हियै हबोळा, कंठ किलोला़ गीत भरै।
घोळा अमीरस सबद सुणंता,रापटरोळा कौळ करै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोरोना सूं जंग करै।
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

प्रकृत रा सरवर तरवर सांभौ,हर हर जापौ हरमेसा।
जरजर है काया व्याधि तरतर,वधै न धर पर दिस-देसा।
कर साबुन धोय'र मास्क मुख धर,खांसी फांसी नहीं बणै।
छींकां री सररर जररर जर तन पर,रोगी खररर नहीं हणै।
मन चंचल आज सिमरलै हर हर,घर घर हर री हूंस भरै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोरोना सूं जंग करै।
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

मां विरवड़ घट मांय 'महेंदर', रवमय रसमय छंद रचै।
सद सारस सबद समापै सगती, जबर रसावळ अधर जचै।
जन सब मिळ जतन करो जग जीवन, इण आफत सूं झट उबरो।
कुदरत रो कहर करम सुध कटसी, क्यूं गफलत को काम करो
घर अपणे में रहो गुणीजन, कोरोना कुछ नहीं करै।
भड़ड़ड़ भड़ड़ भौम भारत री,कोरोना सूं जंग करै।
जिय कोरोना सूं जंग लड़ै॥

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