ता पीछै ऐसी मति धारी,
भाखर तजि विचारै संसारि।
नगर नजीक डीडपुर आये,
दरसण करि सबही सुख पाये॥
स्रोत
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पोथी : श्री महाराज हरिदासजी की वाणी सटिप्पणी (हरीदास की परचई)
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सिरजक : स्वामी रुघनाथदास
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संपादक : मंगलदास स्वामी
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प्रकाशक : निखिल भारतीय निरंजनी महासभा,दादू महाविद्यालय मोती डूंगरी रोड़, जयपुर
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- संस्करण : प्रथम