लखमीवंत वसें सहु लोक,

सुपना मांहि लाभें सोक।

सुरतर विद्याधर ठो ठांम,

रहिया बार वरस श्री राम॥

इस दुर्ग में निवास करने वाले सभी मनुष्य धनपति हैं। वे स्वप्न में भी दुःख प्राप्त नहीं करतें। यह श्रेष्ठ देवों(कल्पवृक्ष)? और विद्याधरों(व्यंतरों,विद्वानों) का स्थान है। भगवान राम ने यहाँ बारह वर्षो तक निवास किया था।

स्रोत
  • पोथी : खुमाण रासौं (खुमाण रासौं) ,
  • सिरजक : दलपत विजय ,
  • प्रकाशक : ब्रज मोहन जावलिया
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