चिहुं दिस चोरासी बाजार,

व्यवहारी कीजें व्यापार।

घण कण कंचण नें रस घणा,

सोदा कुसमां सूंदां तणा॥

दुर्ग में चारों ओर चौरासी बाजार बने हैं, जिनमे व्यापारी अपना व्यापार करते है। इन बाजारों में अनेक प्रकार के धान्य,घृत,तैल आदि का और बहुरगत(ब्याज पर ऋण के देन लेन) का व्यापार होता है।

स्रोत
  • पोथी : खुमाण रासौं (खुमाण रासौं) ,
  • सिरजक : दलपत विजय ,
  • प्रकाशक : ब्रज मोहन जावलिया
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