वांकी पोळ नें वांकी गळी,

सकें को पेसी नीकळी।

गाढ़ी बुरंज अनड चिहुं गोळ,

अति आपें कोसीसां ओळ॥

इस दुर्ग के द्वार(पोळें) और गलियाँ भी टेढ़ी मेढ़ी हैं,जिनमे प्रविष्ट होकर कोई वापिस नही निकल सकता। दुर्ग के चारों ओर सुदृढ गोल बुर्जें बनी हुई हैं, और परकोटे पर बने कपिशीर्षों(कोसीसो) की पंक्तियां अत्यधिक शोभा देती हैं।

स्रोत
  • पोथी : खुमाण रासौं (खुमाण रासौं) ,
  • सिरजक : दलपत विजय ,
  • प्रकाशक : ब्रज मोहन जावलिया
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