नारद मुनि से पाए ज्ञाना

तब तै करूं विसनु को ध्याना।

गुरु प्रताप नाम विसवासा

नृभै भजु सोड सब आसा॥

से सखे! नारद मुनि से मैंने ज्ञान की प्राप्ति की है। जब से नारद मुनि ने ज्ञान दिया है तब से मैं महाविष्णु का ध्यान करता हूं।

गुरु नारदजी के प्रताप से मुझे विष्णु नाम पर विश्वास है। मैं निर्भय होकर हरि को भजता हूं।

मैंने सभी प्रकार की आशा- तृष्णा त्याग दी है।

स्रोत
  • पोथी : ऊदोजी अड़ींग की बाणी ,
  • सिरजक : ऊदोजी अड़ींग ,
  • संपादक : आचार्य कृष्णानंद ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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