मठ आसण अस्थळ पोसाळ,

लायक साथ आठ लेसाळ।

पार्थिव विप्र करें जग्यास,

अहनिस वेद तणो अभ्यास॥

यहाँ मठधारी महंतों के मठ, नाथयोगियों के आसन स्थल, सगुणी निर्गुणियों के मंदिर या द्वारे, और सुयोग्य आठ लेशालाएं (पाठशालाएं) हैं ब्राह्मण देवताओं को पांचभौतिक बलि देते हैं और रात-दिन वेद और वैदिक साहित्य का अध्ययन करते हैं।

स्रोत
  • पोथी : खुमाण रासौं (खुमाण रासौं) ,
  • सिरजक : दलपत विजय ,
  • संपादक : ब्रज मोहन जावलिया
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