जनक वेदह देह सुद त्यागी, विस्नु चरण कंवल अनुरागी।
रिव सुत विस्नु नाम उचारै,तीनो लोकों न्याव विचारै॥
राजा जनक विदेही थे, जिनको अपनी देह का भी ख्याल नहीं था।
वे भी विष्णु के चरण के अनुरागी सेवक थे।
सूर्यपुत्र यमराज भी विष्णु नाम का संकीर्तन करते थे और इन्ही के प्रभाव से वे तीनों लोगों का न्याय करते थे।