जामण मरण मिटैगा तैरा,

यूं सत शब्द मान शिष मेरा।

सत का शब्द मान शिष लीजै,

सतगुरु शब्द कहै सो कीजै॥

स्रोत
  • सिरजक : किशनदास जी महाराज
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