गुरु बिन सब तीर्थ फिर आवै,

गुरु बिन मुक्ति मूल नहीं पावै।

गुरु बिन पांच नाम नित पेखे,

गुरु बिन सेवा लगे लेखे॥

स्रोत
  • सिरजक : किशनदास जी महाराज
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