गणपत चवदे विद्या निदाना, विस्नु चरित्र लिख्य पार न जाना।
लोमस अद्वीत विस्नु विचारै, गुपत भक्त ह्रदै में धारे॥
गणपति चौदह विद्याओं के ज्ञाता हैं। विष्णु चरित्र लिखते हैं, किंतु पार नहीं पा सकते। लोमस ऋषि अद्वैत ब्रह्म का विचार करते हैं। गुप्त भक्ति ह्रदय में धारण करते हैं किंतु हरि गुण का था नहीं पा सकते।।