विस्नु तीरथ सारदा लिखै, अविरल बानी निशदिन बकै।

तोहु हरगुन पार पावै, चिरत अपार लिख्या नहीं जावै॥

विष्णु चरित्र सरस्वती विद्या की देवी अविरल बिना रुके धारा प्रवाह निरंतर लिखती रहती है फिर भी हरी गुणों का पार नहीं है। भगवान का चरित्र अपार हैं, संपूर्ण रूप में लिखने में नहीं आता।

स्रोत
  • पोथी : ऊदोजी अड़ींग की बाणी ,
  • सिरजक : ऊदोजी अड़ींग ,
  • संपादक : आचार्य कृष्णानंद ,
  • प्रकाशक : जांभाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम
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