बालमीक हरि के गुन गाये, ऐक अरब कहे पार न पाऐ।
विस्नु ध्यान सिनकादिक धारै, निसदिन आतम तंत बिचारै॥
महर्षि वाल्मीकि ने एक अरब वर्ष तक हरि के गुण गाए फिर भी पार नहीं। पाए। निस दिन आत्म तत्व का विचार करते हुए सनकादि चारों भाई विष्णु का ध्यान लगाते हैं।