यह वृक्ष अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में नदी-नालों के किनारे बहुतायत से मिलता है। इसका वैज्ञानिक नाम टरमिनेलिया अर्जुना (Terminalia arjuna) है। यह कोम्बरटेसी (Combretaceae) कुल का माना जाता है। संस्कृत भाषा में इसे अर्जुन कहा जाता है।

यह सदैव हरा-भरा रहने वाला वृक्ष है। अर्जुन लगभग दो मीटर व्यास के काफी चौड़े तने वाला पेड़ होता है। इसकी लंबाई लगभग 10 से 20 मीटर तक होती है। शाखाएं सीधी और थोड़ा नीचे झुकाव लिए होती हैं। अर्जुन की तने और शाखाओं की छाल वर्ष में एक बार उतरती है। इसके पत्ते 7 से 12 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं। अर्जुन पर सफेद और नीले रंग के छोटे-छोटे फूल गुच्छों में लगते हैं। ये फूल गंधहीन होते हैं। परिपक्व होने के उपरांत ये फलों में बदलते हैं जो 2 से 5 सेंटीमीटर तक लंबे और अंडाकार होते हैं। इन पर पांच रेखाएं उभरी होती हैं।

अर्जुन की छाल का अनेक उपचारों में प्रयोग किया जाता है। इसकी छाल में सोडियम, मैग्निशियम और कैल्सियम कार्बोनेट होता है जो हृदय रोगियों के लिए बेहद उपयोगी माना जाता है।
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