रिखां साथि आये दुहूं भ्रात रूपं।
भणै जंत्र चाळीस संग्रांम भूपं।
हणे ताड़िका बांण हूंता सुबाहं।
वचै मूरछा होय मारीच वाहां॥
विस्वामित्ररै ज्याग सोभा वधारी।
त्रिया रैणपैहूंत गोतम्म तारी।
पति स्त्रापहूं देह पाई पखांणै।
जिका दिव्य देहा हुई स्त्रब्ब जांणै॥
कुटंबां सहेता हुती नाव कीरं।
वळै पाय रैणा तरी रग्घुवीर।
मिथल्लेसरै ज्याग आए समीपं।
दुवा भूप आए मिळे सात दीपं॥
उठै बांण दैतेस लंकेस आया।
मिळै देव द्रोही उभै धूतमाया।
इता छत्तधारी मिळै ज्याग आया।
छितं धूप लागै नहीं छत्रछाया॥
मिळे छत्रछत्रां धसै भीड़ माचै।
रैणा हीर मोती झड़ै रूप अपारा।
ओपै जोति नौलाखहूंता अपारा।
तिकै जांण साजोत रै भोमितारा॥
मुंनिंद्रेस जोगेस कव्वेस मेळा।
भुजंगेस देवेस स्त्रब्बेस भेळा।
विदेहं प्रतंग्या कहै एम वाकं।
पुत्री जो वरै सोज तांणै पिनाकं॥
लगे बांणहूं आद आयौ लंकेसू।
खपे वीस हाथांज धांनंख खेसू।
हलै हेक राई न को स्त्रम्म होतां।
जती जीव चालै न ज्यूं बांम जोतां॥
तरै बांण बांदे गयो देखि तासं।
सुरांराज झल्ले न हल्ले सरासं।
खसे दैत देवां दुवां पांण खूटा।
तरै भूप दूजांतणा जोम तूटा॥
जिकै वार बोले वडा पात जद्दं।
वडा वंस वाखांण हद्दं विहद्दं।
छुटै अम्रताधार अप्पार छंदं।
चवै वंस वाखांण बे भांण चंदं॥
जिकै वंस दाता हुवा सीर जेता।
तिकै व्रद्द बोलै सुणै भूप तेता।
उभै वातरौ पात दाखै अहांचौ।
खत्री ध्रम्म छाडौ क धांनंख खांचौ॥
सुणे भूप ऐ वात ऊठे सतेजं।
अचां पांण कोमंड झालै अजेजं।
ततै रोस टिल्ला करै गैंद तेही।
जु मस्सै न कोमंड धू ग्यांन जेही॥
जकै भूप दीसै महासूर जाता।
ओपै नार जेहा जिकै फेर आता।
दसा एम राजा जनंकेस देखै।
प्रतंग्या धरी आप सो वात पेखै॥
हुई भोम निब्बीज दाखै हुकम्मं।
कंवारो रही कन्यका लेख क्रम्मं।
सुणे एम बोले जती बांण साची।
कहीजे नहीं रांम ह्वै तांम काची॥
व्रहम्मंड कोटेक जो रोमवासं।
स तौ जोवतां जेणि केतौ सरासं।
एको रांम रौ दास जोरै अपारै।
धरा सात दीपावती सेस धारै॥
जोवौ दूसरौ दास कूरम्म जेहौ।
इळा सेससूधी धरै पीठ एहौ।
पांणे तांणसी रांम आरांम पावौ।
मिथल्लेस धांनंख वेगौ मंगावौ॥
मखं ग्रेह पैठे करै भेख मल्लां।
हमालां लखां आंणियौ नींठ हल्लां।
हरी वाळ चंमांट जेही चहोड़ै।
तमासा ज्युंही खांचि धांनंख तोड़ै॥
सजी तूटते बूंब एही सरस्सं।
पहाड़ां सुणी घोर बद्री परस्सं।
प्रजा राज आंणंद पूगी परखा।
वधै देवतां कीध फूलां वरिक्खा॥