सदग्रंथ सुनौ सतपंथ वहौ, यह औसर फेर ना आवनौ हैं।
भवितव्य दिसी गत होवहिगी, चित में कछु सोच न लावनौ हैं।
'चिमनेस' परपंच वृथा जग में, धन के हित ना कछु धावनौ हैं।
छळ छेक के गावनौ ईश्वर को, दिन एक जरूर हि जावनौ हैं॥