काक सो ना सुर कोयल सो सुर, दाख सी बानि महेश्वर सो दत।
गैरि सो रूप है सीत तुहीन सी ताप दिनेश सो राधिका राजत।
जा क्रम दोहन बीच है तो क्रम, बीच सवैयन शोधि महामति।
दास स्वरूप बिचारिकै देखियौ, आकृति और सुभाव हू कि गति॥