काक सो ना सुर कोयल सो सुर, दाख सी बानि महेश्वर सो दत।

गैरि सो रूप है सीत तुहीन सी ताप दिनेश सो राधिका राजत।

जा क्रम दोहन बीच है तो क्रम, बीच सवैयन शोधि महामति।

दास स्वरूप बिचारिकै देखियौ, आकृति और सुभाव हू कि गति॥

स्रोत
  • पोथी : पाण्डव यशेन्दु चन्द्रिका ,
  • सिरजक : स्वामी स्वरूपदास देथा ,
  • संपादक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : तृतीय