कोई साहपुरै कोई डीडवाणै, कोई नग्र नराण कूं जावता है।
कोई रायण टूंकड़ै रात रहै, कोई खीच खैड़ापै में खावता है।
कोई पंथ की पोल जाय धस्या, सब रात मंजीरां में गावता है।
कोई चाडी की फाडी में जाय फस्या, पर ब्रहम का भेद न पावता है॥