उदार बोली बोल-नाक सता नकटों बणै।
मायड़ भासा कौल-विसरैं क्यूं रै बस्तिया।
जग में ठावी ठौड़ मायड़ भासा राखती।
इणरी जबर मरोड़ वरणै ग्रंथ बस्तिया॥
मोती मूंघा बोल सुरसत बीणै रा तार।
सबद घणां अणमोल वरणैक विसर बस्तिया॥
साहित भण्डार पूर रासाख्यात मौखलां।
भणता मूंडै नर-बातां गाथा बस्तिया॥
इणमें इमरत धार पीवै जो चतुर सुजाण।
वीरत रस्स अपार-विरद गवीजे बस्तिया॥
इण धर रा कविराज मूंड हंसाया समर में।
कैहर ज्यूं छन्द गाज-वैरी कांपे बस्तिया॥
कविसर रतना रेख मायड़ भासा लाडला।
इण में मीनन मेख बिणजी साहित बस्तिया॥