मील बंधी मुरजाद, नीर जळ नौसै नंदी।

सावकरण सिंणगार, रेंवतां घोड़ों मंदी॥

स्रोत
  • पोथी : जसनाथी संप्रदाय : साहित्य, साधना एवं विचारधारा (पीएचडी उपाधि हेतु स्वीकृत शोध प्रबंध) ,
  • सिरजक : जसनाथ जी ,
  • संपादक : भेराराम