काया में कवलास, न्हाय नर हर की पैड़ी।

वह जमना भरपूर, नितोपति गंगा नैड़ी॥

स्रोत
  • पोथी : संत सुधा सार (संत लालनाथ कृत "जीव समझोतरी " कृति से उद्धृ) ,
  • सिरजक : लालनाथ जी ,
  • प्रकाशक : मार्तण्ड उपाध्याय, मंत्री, सस्ता साहित्य मंडल,नई दिल्ली ,
  • संस्करण : प्रथम
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