घणा घलिया घमसांण, (तोई) राणा सदा रहिया निडर।

(अब) पेखँतां, फ़रमाण हलचल किम फ़तमल! हुवै॥

अनगिनत भीषण युद्ध लड़ने के बावजूद भी मेवाड़ के महाराणा कभी किसी युद्ध से तो विचलित हुए और ही कभी किसी से डरे उन्होंने हमेशा निडरता ही दिखाई। लेकिन हे महाराणा फतह सिंह आपके ऐसे शूरवीर कुल में जन्म लेने के बावजूद लार्ड कर्जन के एक छोटे से फरमान से आपके मन में किस तरह की हलचल पैदा हो गई ये समझ से परे है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य सुजस ,
  • सिरजक : केसरी सिंह बारहठ ,
  • प्रकाशक : राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल, जयपुर।