पाणी प्राणी प्राण, बून्द-बून्द राखो बचा।

पाणी मोल पिछांण, बिरथ गंवा मत, बावळा॥

दे ईधण फळ छांव, मेह् बरसावै मोकळो।

गळी-गळी हर गांव, बिरछ लगावो, बावळा॥

नहीं निरच्छर नाम, मिलसी जीं दिन मुल्क में।

मेरो देस महान’ बीं दिन बिणसी, बावळा॥

पाळै मतना पाळ, पाळ मनां में प्रीतड़ी।

टंटो झूठो टाळ, बणै जठै तक, बावळा॥

यां री उल्टी रीत, बांटे जितणा बढै।

पुन्न, भलाई, प्रीत, बिद्या, भगती, बावळा॥

मौसम रो मिज्जाज, कुण जाणै जा बदळ कद।

करणो है जो काज, बेगो करले, बावळा॥

बळ होयां दळ होय, दळ होयां बळ बापरै।

दळ-बळ दोनूं खोय, बळ खावै मत बावळा॥

खावै खेचळ खेत, निरणो करसो नेम स्यूं।

रेत रळ्यां रेत, सोनो निपजै, बावळा॥

भाग्यां बणसी भाग, दुनियां रो दसतूर है।

भाग सकै तो भाग, बैठ्यो मत रै, बावळा॥

पड़ नीं सकै पिछाण, कुण अपणो हे गैर कुण।

ताखड़िये में काण, बाट करे के, बावळा॥

चोर करावै जांच, जांच करणिया चोरटा।

आवै कैयां आंच, बता चोर पर, बावळा॥

आडो बोल्या आज, आडो आवै कुण अठै।

मीठो राख मिजाज, बतळावण में, बावळा॥

बिना करयां बिसपान, हर कोई ‘हर’ कद हुवै।

जोखम गेर्‌यां ज्यान, मोती मिळिया, बावळा‌॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी काव्य संग्रह (कक्षा-12) ,
  • सिरजक : ताऊ शेखावाटी ,
  • संपादक : 2006 ,
  • प्रकाशक : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान
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