अंत बेर आखीह, पताल जे बाताँ पहल।

(वे) राणा सह राखीह, जिण री साखी सिर जटा॥

अपने जीवन के अंतिम समय में आपके कुल पुरुष महाराणा प्रताप ने जो बाते कही थी प्रतिज्ञाएँ की थी आने वाली पीढियों के लिए आख्यान दिए थे कि किसी के आगे नहीं झुकना, दिल्ली को कभी कर नहीं देना, पातळ में खाना खाना, केश नहीं कटवाना जिनका पालन आज तक आप आपके पूर्वज महाराणा करते आये है और हे महाराणा फतह सिंह इन सब बातों के साक्षी आपके सिर के ये लम्बे केश है।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य सुजस ,
  • सिरजक : केसरी सिंह बारहठ ,
  • प्रकाशक : राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल, जयपुर।