अकबरिये इक वार, दागल की सारी दुनी।

अण दागल असवार, रहियो राण प्रतापसी॥

स्रोत
  • पोथी : विरुद छिहतरी ,
  • सिरजक : दुरसा आढा ,
  • संपादक : भूपतिराम साकरिया ,
  • प्रकाशक : साहित्य संस्थान, राजस्थान विधापीठ, उदयपुर
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