अध्रम कर नर दूर, धर्म कर्म शुभ धारिये।

शिष्य सुजानत सूर, गुरु मुख वेद विचारिये॥

स्रोत
  • पोथी : जसनाथी संप्रदाय : साहित्य, साधना एवं विचारधारा (पीएचडी उपाधि हेतु स्वीकृत शोध प्रबंध) ,
  • सिरजक : जसनाथ जी ,
  • संपादक : भेराराम