अब लग सारां आस, राण रीत कुळ राखसी।

रहो सहाय सुखरास, एकलिंग प्रभु आप रै॥

हे महाराणा फतह सिंह जी पुरे भारत की जनता को आपसे ही आशा है कि आप राणा कुल की चली रही परम्पराओं का निरवाह करेंगे और किसी के आगे झुकने का महाराणा प्रताप के प्रण का पालन करेंगे। प्रभु एकलिंग नाथ इस कार्य में आपके साथ होंगे आपको सफल होने की शक्ति देंगे।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य सुजस ,
  • सिरजक : केसरी सिंह बारहठ ,
  • प्रकाशक : राजस्थान राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल, जयपुर।