आये येकी केह, जग सोह जीवै बाकरै।

देखौ दस माथेह, रावण हो रहियो नहीं॥

स्रोत
  • पोथी : गुणगंजनामा ,
  • सिरजक : जगन्नाथदास ,
  • संपादक : ब्रजेन्द्र कुमार सिंहल ,
  • प्रकाशक : श्री दादू साहित्य- शोध – संस्थान ,
  • संस्करण : प्रथम