राम भज्यां रामै मिलै, और भज्यां कुछ नाहिं।

कूकस गाहौ लाख बर, चेतन कहा है माहिं॥

ररंकार रहता पुरुस, देह धारी माया जाणि।

देह धारि कै देह कूं भजै, क्यूं पहुंचै निरवाणि॥

जळ बूड़त जळ कूं गहै, कैसे होय उबार।

कह चेतन वे बूडसी, कदै पावै पार॥

चेतन को चित तहां लग्यौ, जहां तेज पुंज को राम।

देह धारी चित राम सूं, नहीं हमारा काम॥

गुण तत सेती रहित है, नहीं काय नहिं माय।

चेतन सुमरै राम सो, नहिं आवै नहिं जाय॥

कह चेतन पुस्तग महीं, सिरै देखिल्यौ राम।

समदर सिला तिरावतां, लिख्यौ दूजौ नाम॥

हीरा परखै जूहरी, रूपौ हेम सराप।

चेतन परखै नाम कूं, सो मिल्या ब्रह्मा में आप॥

निज नाम पाय गाढौ गह्यौ, चेतन सुलझ्या प्राण।

राम नाम सो जाणिये, मोहि सतगुरु की आण॥

स्रोत
  • पोथी : स्वामी चेतनदास ,
  • सिरजक : चेतनदास ,
  • संपादक : बृजेन्द्र कुमार सिंघल ,
  • प्रकाशक : संत उत्तमराम कोमलराम ‘चेतनावत’, रामद्वारा, इंद्रगढ़ (कोटा) ,
  • संस्करण : प्रथम
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