भागो रे मयण जाई अनंग वेगि रे थाई।
पिसिर मनर माहि मुकरे ठाम॥
रीति र पायरि लागी मुनि काहने वर मांगी।
दुखि र काटि र जागी जपइ नाम॥
मयण नाम र फेडि आपणी सेना रे तेड़ी।
आपइ ध्यानती रेड़ी यतीय वरो।
श्री विजयकीर्ति यति अभिनवो।
गछपति पूरय प्रकट कीनि मुकनिकरो॥