वेलि कमल दळ कोमल, सामल वरण सरीर।

त्रिभुवनपति त्रिभुवन निलो, नीलो गुण गंभीर॥

माननी मोहन जिनवर, दिन दिन देह दिपत।

प्रलव प्रताप प्रभाकर, भवहर श्री भगवत॥

लीला ललित नेमिस्वर, अचलेस्वर उदार।

प्रहसित पंकज पंखड़ी, अंखड़ी रूपि अपार॥

अति कोमल गळ गदळ, प्रविमल वाणी विसाल।

अंगि अनोपम निरुपम, मदन तणी निवास॥

कठिन सुपीन पयोधर, मनोहर अति उतंग।

चंपक वर्णी चंद्राननी, माननि सोहि सुरंग॥

हरणी हरखी निज नयणीउ वयणीउ साह सुरंग।

दंत सुपती दीपती, सोहती सिरवेणी वघ॥

कनक केरी जसी पूतळी, पातळी पदमणि नारि।

सतीय सिरोमणि सुंदरी, भवतरि अवनि मझांरि॥

ज्ञान-विज्ञान विचक्षणी, सुलक्षणी कोमल काय।

दान सुपात्रह पेखती, पूजती श्री जिनवर पाय॥

राजमती रळियामणी, सोहामणि सुमधुरीय वाणि।

भमर म्योळी भामिनि, स्वामिनी सोहि सुराणी॥

रूपि रभां सुतिलोत्तमा, उत्तम अंगि आचार।

परणितु पुण्यवती तेहनि, नेह करी नेमिकुमार॥

केतकी मालती माळ गोजाळ सु चपकं चगं।

बोलसिरि वेल्य पाडळ परिमल मलया भृंग॥

बहु विध भोग पुरंदर सुंदर सहिजि स्वरूप।

चतुर पणि चालि जान सुभान मली बहु भूप॥

दुख दाळिद्र दूर गया आपयां दान उदार।

सजन सहु सतोपीया पोखीया बहु परिवार॥

बदी जन बरद बोलि घणां जिव तथा विविध विसाल।

वरवाजाय वाय लगायण गाय गुण माल॥

इन्द्र इंद्राणी उवारणा जुंझणा करि धरणेस।

नव रसि नाचि विलासणी सुहासणि भरे सेस।।

धवळ मंगळ सोहामणा भामणा लेव नर नारि।

लूणा उतारे कुमारी मारी सहु सार सणिगार॥

जयतु जीवितू नन्द जिणंद जगद जगीस।

युवती जगती यम जपती कुलवती दिय आसीस॥

इण प्रभु परणे वासात तोरणि जाइ जान।

जान जाणी जव आवती नरपती उग्रसेन ताम॥

सचरी साहामो सभ्रमकरी आणंद भरी अणमेवि।

मलया महा जनमन रंगे अंगे आलिंगन लेवि॥

युगति जोइ जानीवासि उल्लासि उतारी जान।

आसन सयन भोजन विधि मन सिद्धिदीधायान॥

नयनि मंझारि सिणगारी सूनारी ताहि सुविचार।

तहातव हासव मांडीया छंडीया अवर व्यापार॥

ध्वजि तोरणि सोहि घरिं घरिं घरि घरिवानरवाळ।

फूल पगर भरला घरिं घरिं धरिं धरिं झाकझमाळ॥

धरि धरि कुंकृम चंदन तणा छाटणां छड़ा देवरायि।

घरि घरि मणि मुगता फळ चाउल चाक पुराय॥

नव नवा नाटिक घरिं घरिं घरिं घरिं हरख मायि।

गिरिनारिपूरि केरी सुंदरी रगं भरि मंगळ गाइ॥

कनकमि कंकण मोड़ती, तोड़ती मिणिमिंहार।

लूंचती केस-कळाप, विलाप करि अनिवार॥

नयणि नीर काजळि गळि, टळवळि भामिनी भूर।

किम करूं कहि रे साहेलड़ी, विहि नड़ि गयो मंझनाह॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के जैन संत: व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : संत वीरचन्द्र ,
  • संपादक : डॉ. कस्तूरीचंद कासलीवाल ,
  • प्रकाशक : गैंदीलाल शाह एडवोकेट, श्री दिगम्बर जैन अखिल क्षेत्र श्रीमहावीरजी, जयपुर