कहाया सिव हैम हूता कथ्थन,

महाबाधियौ हेम आणंद मन।

कर ज्याग आरंभ उछाह कीधा,

दिसे ही दिसे नूंतरा हेम दीधा॥

सताबी सिव आविया जान सज्जे,

गुड़े गोड वाजिन गो आप गज्जे।

भ्रगुटी कटि मोट वागा भसमी,

पलट्टे कटि नाग पागो पसमी॥

मिणीमाळ रुंड फुणहार मौजे,

विंख भख्ख नै चख्ख पावक्क चैजे।

कर डमरू चांप सूळ कंपा छजेळ,

अब रंगे तुचा म्रग छाळ॥

क्रपानाथ विमाह उछाह कीधा,

लखा भूत प्रेता लार लीधा।

इसा रूप सूं रुद्र की जान आवी,

वळे श्रीमुखा नाद सिंगी बजावी॥

बधाई दई हेम आवे बधाई,

पबराज पासे घणू मौज पाई।

महाजोध आठै कुळै साथ मेळै,

सजे आविया हम साम्हा समेळै॥

निज नाथ तातो करे जेथी नदी,

वधे तोरणा लीध श्रीहत्थ वदी।

मना आरती साज काजै महेस,

अटक्के खड़ी देखे अनेस॥

भणै अेम मैणा उमा तात भूलो,

सनमंध देखे कीधो सूलो।

कियो काज भोळा गिरा काज केहो,

इसी डीकरी मांहरी वींद अेहो॥

चडा देवता नार कूड चियाणी,

जोगी जोय काज यो बुध्ध जाणी।

जेठाणी दरेाणी सासू नणंदी,

बहु पास आवास बदा बदी॥

अबुधि इसी बुधि कीधी अनेसी,

सतु डीकरी किथ्थ ऊभी रहेसी।

ठिकाणा को ऊंधरा कमट्ठाणां,

महिरान उंदी थान वासो मसाणा॥

घणूं साथरा पाथरा मोर घासे,

पळेटो जितो नाह पवन्न पासे।

निकूदास खवास याती गियाती,

जितु दोवळा भूत प्रेता जमाती॥

धूतारो ठगारो नरो दंभ धारी,

कुचारी बिजारी सु पाखंड कारी।

कपट्टी लपट्टी घटी मोहकारी,

गिरज्जा कज बींद अेहो गिंमारी॥

जियो राजरीत नहीं ऊं चजाती,

बडेरो को साथ साथी बिराती।

मुगट जट मौड़ मंडे तमासा,

पखे पार लूंब फुणधार पासा॥

भखे पार बिख धतुयार भग,

गळे भूसणे ठोड़ झूले पनंग।

खुले कान मोती जठै काम खोटो,

महागार री मुद्रका भार मोटी॥

निजां केस रा अदणा लेस नक्की,

उडे खांख चो पास अंग अधक्की।

किये नाग ने बाघ री खाल कंधे,

बजाबा गळे भंरगारा सींग बंधे॥

किये त्रब में काछ हत्थे कप्पाळ,

मही चख्ख ज्वाळा गळे मुंडमाळ।

वळे तेकी नोबतां ध्रीह बग्गे,

असवार पाला नकौ मुंह अग्गे॥

मसतो हथी नको मद्दमाता,

तुरंगा नको पूरिया तेज ताता।

सिहांका सग्ढा नको रथ सोधो,

गिणौ टापरै आज अेकीज गोधो॥

करुं जाण रो कत वाखाण केहो,

उमा काज लाये जीय बींद अेहो।

मुळक्कै करै भीढ़ रा मुख्खमोड़ा,

जोड़ो सांपरी पूंछ गंठजोड़ा॥

सामीणा जोये कोई जिने समाया,

अठे मांहरी डीकरी नाह आया।

अम्हाने जोगी देखता लाज आवै,

पुत्री देव रम्भा इसौ बींद पावै॥

इसी भांत जीते कइलास आयो,

वळे उमीया पुत्र जाझो बधायो।

रुद्र पांइ लागो धणी भाई रात्तो,

लिया हेत सूं तात छाती लगातो॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थानी साहित्य सम्पदा ,
  • सिरजक : आईदान गाडण ,
  • संपादक : डॉ. सौभाग्यसिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम, बीकानेर
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