हरखीया यादव यादव मनह आगंदि।
पुरषोत्तम पूजा रचि नेमिनाथ चलणे निरोपम।
जल चंदन अक्षत करि सार पुष्प वल चरू अनोपम॥
दीप धूप सविफळ घणा रचाय पूज धन हाथ।
कर जोड़ी करि वीनती तु बलिभद्र वधव साथी॥