कुंकम पत्री पाठवी रे, शुभ आवि अतिसार।
दक्षिण मरहठा मालवी रे, कुंकण कन्नड़ राउ॥
गूजर मंडळ सोरठीयारे, सिंधु सबाल देस।
गोपाचळ नु राजाउरे, ढीली आदि नरेस॥
मलवारी प्रासु पाडनेर, खुरसाणी सवि ईस।
बागड़ी उदक मजकरी रे, लाड गउडना धाम॥
पकवान नीपजि नित नवां रे, मांडी मुरकी सेव।
खाजा खाजड़ली दही थरां रे, रेफे घेवर हेव॥
मोतीया लाडू मूंग तणा रे, सेवइया अतिसार।
काकरिय पड़ सूधीयारे, साकिरि मिश्रित सार॥
साळीया तदुल सपडारे, उज्जळ अखंड अपार।
मूंग मंडोरा अति भला रे, घृत अखंडी धार॥
पायेय नेउर रणझणिरे, घूघरी नु घमकार।
कटियत्र सोहि रुडी मेखला रे झुमणु फलक सार॥
रत्नजड़ित रुड़ी मुद्रकारे, करियल चूड़ीतार।
वाहि बिठा रूडा बहिरखा रे, हयिडोलि नवलखहार॥
कोटिय टोडर रूयडुं रे, श्रवणे झबकि झाळ।
नानविट टीलु तप तपि रे, खीटलि खटकि चालि॥
बांकीय भमरि सोहामणी रे, नयले काजल रेह।
कामिधनु जाणे तोडीउरे, नर भग पाडवा एह॥
हीरे जड़ी रूड़ी राखड़ी, वेणी दड उतार।
मयणि पन्नंग जाणे पासीउरे, गोफणु लहि किसार॥
नवखणु रथ सोव्रणमि रे, रयण मंडित सुविसाल।
हासना अश्व जिणि जोतस्या रे, लह लहघि जाय अपार॥
कानेय कुंडळ तपि तपि रे, मस्तकि छत्र सोहति।
सामला ब्रण सोहामंणुरे, सोइ राजिल तोरू कंत॥