कठिन वचन बोलीयि, रह्या अेकठा दोयरे।

पंचलोकां मांहि इम भणी, जिह्वा करे यने हीयरे॥

अह्यो चार्वा चूरी रसकसू, अह्यो करु अपरमादरे।

कवण विघारी बापड़ी, विंठी करेय संवाद रे॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के जैन संत: व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : संत सुमतिकीर्ति ,
  • संपादक : डॉ. कस्तूरीचंद कासलीवाल ,
  • प्रकाशक : गैंदीलाल शाह एडवोकेट, श्री दिगम्बर जैन अखिल क्षेत्र श्रीमहावीरजी, जयपुर