गवरीपुत्र सुप्रसन्न हू गणपित, सुप्रसन्न हुओ सुरराय।

मति सारै जोधाहर मडंण, चांदो सारांहि सकुळ चाय॥

पहलोई सोलींकियां जाय प्रोहतो, निरभय चदं बाधियै नते।

भागो तैं कीलणहर भिड़तै, खांडा पांणि बणहटै खैत॥

रागि जुतै चांदा वड रावत, खांड कमळ खेलतै खेत।

सिरि सीमाड़ां वीर-समोभ्रम, असिमर फेरे आवरत॥

धोड़ै-दीह अजैपुर धौपटि, असुर घणां रायपुर उथाळि।

अेके दीह उभै आखाड़ा, जीतै चदं अनै जगमालि॥

केकीन्ह जुतै कमध कळहंतै, कुळ मडंण वाहिया कर।

ईसर चंद बिन्है आफळिया, धजबड़ हथ बे काजि धर॥

भ्रम भाटियां-तणो तदि भागो, विढ़े माल छळि वीर सुवेत।

वाढ़ाड़ियो कथियो वाज्यंद, खांडे राय फळोदी खेत॥

घड़ि गुजराति तणी घण झूझे, काय दिखाळी हाथ कळ।

मेल्हावियो चंद मुणिसांगुर, बारह खांनां तणो बळ॥

लांगा जुतै बागद्दर लाई, दोसा री सुरतांण दळि।

रहचि पठांण आणिया रेवंत, बोलाड़ै रिण बांधि बळि॥

कैरव दळ पेखै किळबाहिण, त्रिबधि घड़ा निहसिया तिम।

ईडर गढ़ चांदो उग्रहीयो, जुडि़ हथणापुर अजण जिम॥

राठोड़ बड़ा रिमराह रूकहथ, निसा कमळ मांझी निवड़।

नींबहड़ै चांदै नीछटिया, धारां मुंहि गहलोत धड़॥

वैर सहोवर विढ़ै वाळियो, अति चंद सुजस हुवो असहास।

पैसे गढि़ चित्तोड़ पाड़ीयो, दुजड़ांहथ नारायणदास॥

मुगलां कन्हां रतनसी मांगै, अेह असंभ सेली अचड़।

तैं तोड़ी चदं तिजड़ाहत्थ, घाय भंजी सुरताण घड़॥

उगिम लगै चंद अरि गंजण, आखाड़सिध बड़ा असवार।

तैं लोहिमौ फेरियो लांगा, सेस अंडांम धरे संघार॥

महिरावण भांनीदास मांगिवा, तूं चडियौ दाखवि तरसि।

जादम घड़ि रहचि जेसांणै, सोळै असवारे सहस॥

निसि पैसंता कळहि निसरता, सुनव लाख अपार सार।

चांदै सुवर साझिया चैरगि, निसि भरि रूनी गोखड़ां नार॥

पह नवकोट तणां पड़िगाही, साख भरै मानवी सूर।

उबेळियो चंद अतुळीबळ, जोध कळोधर जोधपुर॥

ओळांड़ै नागोर अजैपुर, खेड़ेचै मेले खरहंड।

चांदै कियो राव चूंडै जिम, डीडूपुरा ऊपरै डंड॥

आगै किया प्रवाड़ा इधका, रिम रेहळिया चढ़े रिण।

चाचरि सूर साझिया चांदै, तुरक तेवड़ै चूका तिण॥

मास बे महण मेड़तै मथियो, असंख कटक मेलै अगिवांन।

आंगमणी चांदो नह आवै, खार खट्यो जोवै मणि खांन॥

पुणियो दिस हसन उचरै प्रधानै, ऊंचा सूरि करण उखेल।

मरै नहीं चांदो दळ मिळियै, मारिस चंद परपंच मेल॥

बातां करै कटक बीखरै, खान गयो नागोरि खड़ि।

वसुह मेड़ता तझू करूं वसि, चांदा वेगो आवि चढ़ि॥

तेड़ै खान तणैं तिजड़ाहथ, नीस कमल आयो नागोर।

हिंदू तुरक चंद हठवादी, ऊपरी आप जाणै और॥

खिजमति करै खान मन खोटै, आये चंद असुर अगिवांन।

बदरा अेक पमगं बगसिजै, महमानी पेसकसी मांन॥

ऊतारै चोहटै अगंजित, बाहुडंड खड़कीयै बाणास।

आंगिम चूक विण साल नह आवै, खाटै सो रहियो खुरसांण॥

रहिया नहीं किमाड़ै रावत, चदं तणां वाधेती चोट।

आया सांम सहाय आंहचै, कळि वाधति विचाळै कोट॥

बोलवियो चंद रज बेली, राघव तो सरिसो रण।

खेतसीयो खेंग रै खाफर, अतळी वंस आभरण॥

कुळि काचड़ौ लायौ कमधज, केवियां नैं रोळवण काळ।

पाड़ियो चंद गयण’क पड़तै, बीड़ो जिणि झालियो बंगाळ॥

गड़ु थळ हेक हुवा गोरीदळ, घूमै हेव विहंडियां घाय।

पूतळियां लग चंद परठवी, मीर तणैं सुजड़ी तन मांय॥

आगै सांम सहायत आया, राघवदे वाधो रिणताळि।

धमचक भलो कियो धाराळै, वरसींघ नागोर विचाळि॥

वाधो विहे कमळ वीछुड़ियै, सूर तणी परि सांमि सनाह।

सकतावत साराहे समहरि, हिंदू तणा नमो हथवाह॥

कान्हा हपराय खेलै कुंण, घाय विहंते विसंण घति।

समहरि आंक वळै साहसमल, सीहावत ताहरा सति॥

भाटी माल कहै प्रब भारी, आयो मो वांद्दतै रिणि-भुंय,

भारमलोत समारै रिणि-भुंय, कुळ दळ अनै सांम रा काज॥

नीमजी भुजी निहसतै नाथै, आगै भड़ कैलास अरि।

सरजाळियो सांखळां साहै, पाका किरि महचुवाळ परि॥

असुराइण दाउत उपरि, घैंघुंवै लूंबै घण घेर।

पींपाड़ो दाखवै पराक्रम, सुजड़ै करि साहियो सुमेर॥

रायसलोत विढ़ंगे रूकै, धड़ भड़ तूटै पड़ै धर।

असुरां सिरै तेजसी अणभंग, सोनिगरो वाहै सुकर॥

सोढ़ां राव फाबियो समहरि, साहंतो वाहंतो सार,

मेहाजळ दाखै घाए मिळि, ऊमरकोट तणो इधकार॥

मांडाहरो महाजुधि मातै, बाहु डंड नीमजै बळि।

अेक पोहर निहटा आरहटा, दहियां माथै भेद दळि॥

रामां सुतन विढ़ै राय अंगणि, चाचरि सूर प्रगटियै चूकि।

सोझत सुपह फाबियो समहरि, रिणधीरीयो वहतै रूकि॥

आल्हणहरो चईणो अणीयौ, मुंणसांगुर दाखवि मछरि।

बाला बीयो नहीं बड़रावत, क्यां ही ज्युं करि नै सुकरि॥

बीजूजळ किरिमाळां बाजै, कौगति जोवै सहसकर।

वरिजै चंद सहित वडरावत, आंणै रथ ढोया अछर॥

सूता चडे करै भारथ कथ, घाण मचावै असुरां घाव।

दूदाहर चांदो वंस-दीपक, सरगि पोहतो वीर सुजाव॥

॥इति श्री वेलि राठौड़ा चांदा वीरमदेवोत॥

स्रोत
  • पोथी : ऐतिहासिक वेलि-संग्रह ,
  • सिरजक : मेहा दूलासणी ,
  • संपादक : डॉ. नारायणसिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी शोध संस्थान, चौपासनी, जोधपुर