एकादस वर अंग, चउद पूरब सहु जाणउ।

चउद प्रकीर्णक सुद्ध, पंच चूलिका बखाणु॥

अरि पंच परिकर्म सूत्र, प्रथमह दिनि योगह।

तिहना पद सत अेक, अधकि द्वादस कोटिगह॥

आसी लक्ष अधिक बली, सहस्त्र अठावन पंच पद।

इम आचार्य नरेन्द्रकीरति कहइ, श्रीश्रुत ज्ञान पठधरीय मुद॥

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के जैन संत: व्यक्तित्व एवं कृतित्व ,
  • सिरजक : भट्टारक नरेन्द्रकीर्ति ,
  • संपादक : डॉ. कस्तूरीचंद कासलीवाल ,
  • प्रकाशक : गैंदीलाल शाह एडवोकेट, श्री दिगम्बर जैन अखिल क्षेत्र श्रीमहावीरजी, जयपुर