दोहा 

तखत सिरै ओ तेमड़ो, बखत जुगां हर बार।
रखत लाज तूं रैणवों, अखत अंब आधार॥

छंद जात सारसी

धन माढ धरणी सोम घरणी, चोज कीनो चारणी।
सुखवास सहुआ कोड चहुआ, आवड़ा अवतारणी।
जित सगत सातां दरश पातां, ऐह अदभुत ओपणा।
गिरिताज तेमड़ वास आवड़, सकळ जीवन सौंपणा॥
मोय सकळ जीवन सौंपणा॥

इक बखत एड़ो आय परतख, दैत गिर पर दीसियो।
अणनीत उध्धम माढ मध्धम, रैण पर ज्यूं रीसियो।
कर कोह देवी टोह केवी, खोह सिल दे खौंपणा।
गिरिताज तेमड़ वास आवड़, सकळ जीवन सौंपणा॥
मोय सकळ जीवन सौंपणा॥

जैसल्ल सिल्ला जोय जिल्ला, पवन मारग पौंचिया।
मनरंग मेरू थान थेरू, तखत फेरू टौंचिया।
गुण माढ माटी गाढ गाती, राह ऊजळ रोपणा।
गिरिताज तेमड़ वास आवड़, सकळ जीवन सौंपणा॥
मोय सकळ जीवन सौंपणा॥

हड़ड़ाट हसती धड़ड़ धमको, गड़ड़ गड़गड़ गूंजती।
कड़ड़ाट बिजळी ज्यांह कड़के, भड़ड़ दुसमी भूंजती।
कर दार धारै वार करती, जुलम फैले धर जणां।
गिरिताज तेमड़ वास आवड़, सकळ जीवन सौंपणा॥
मोय सकळ जीवन सौंपणा॥

अचळां म उन्नत जगत जन्नत, पात मन्नत पूरणी।
भव मात भम्मत रास रम्मत, चड़ड़ असुरां चूरणी।
कुलदीप नम्मत बखत क्रोड़ां, कोड गिर दर्शण घणा।
गिरिताज तेमड़ वास आवड़, सकळ जीवन सौंपणा॥
मोय सकळ जीवन सौंपणा॥

छप्पय

नग पग शीश नमाय, बग बग पौचूं बारणै।
लग तव दर्‌श लगाय, नैण मूरत निहारणै।
अवर न ऐड़ो होय, पवर शैल भूखंड पे।
तवै शिरोमण तोय, बडा बडी ब्रहमंड पे।
दास आस ले कुळियो दखै, देवी दर्‌श दिखावजै।
सुमत्ती आपे महा सगती, बाई सदा बुलावजै॥
स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां रचियोड़ी ,
  • सिरजक : सुआसेवक कुलदीप चारण
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