स्यान्ति, स्यान्ति री बात करै है दुनियां सारी
नित उठ, अनै पढ़ै है नित रा नया संदेसा
जुद्ध हुवै पण, नईं हुवै तौ फेर अंदेसा
बण्या रैवै है बींरा, मिनखा जूण बिचारी
पिसती रैवै नास री चाकी रै दो पाटां
बीच, जियां पिसती आई है जुग जुगाद सूं
कोई ' अेक' मिनख री मनस्या किणी वाद सूं
बंधी, लाटती रैवै नित लासां रा लाटा।
कूण लड़ै है, फकत मिनख री लड़ै गुलामी
धर सैनिक रौ रूप, पालना करै हुकम री
सासक रै आदेस मूरती बण'र जम री
मिनख बिणासै, साथै भरै फरज री हामी।
जद तांई रोटी री खातर माणस भरती
होसी फोजां मांय, मिनखता रै’सी मरती।