ईं नये छन्द सूं नया बारणा सिरजणा रा
खुलसी अर मिलसी लिख्खारां ने एक नूंई
लिखण री खातर बायी-जोती भूम सूंई
जिण ऊपर बै परगटसी भाव निजू मन रा।
बै भाव जिकां रो कविता मांय निषेध हणै
ई हुवै, अनै समझी जावै है इसी कथा,
टाळै जिणनै माणस बिसेस री मान व्यथा
राख्यो जावै, उण मैं कविता मैं भेद हणै।
ओ छन्द सुकवि री उणी व्यथा नै बरण सकै
निज मैं, सावळ सांवट्ट धरै सै रै सामी
अर सिरळ-भिरळ सूं टाळ भरै बींरी हामी
बो आकळ-बाकळ हो, आ इंरी सरण सकै।
आ विधा बधावैली सिरजण रा नया खेत
आ अंगेजैली अभिव्यक्ति नै कवि समेत।