राजस्थानी सबदकोस

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प रो राजस्थानी अर्थ

शब्दार्थ

  • देवनागरी वर्णमाला का इक्कीसवां व्यञ्जन जो कि विवार, श्वास, घोष और अल्पप्राण प्रयत्न लगने से तथा दोनों ओठों के मिलाने से उच्चरित होता है। अतः इसे स्पर्श व ओष्ठ्‌य दर्ण कहते हैं
शब्दभेद/रूपभेद : सं.पु.
  • रवि, सूर्य।
  • पवन।
  • वृक्ष।
  • गुरु।
  • राजा।