राजस्थानी सबदकोस

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मत्स्यगंधा रो राजस्थानी अर्थ

मत्स्यगंधा

  • शब्दभेद : सं.स्त्री.

शब्दार्थ

  • कुरुवंशके शांतनु राजा की पत्नी, जो चित्रांगद एवं विचित्र वीर्य राजाओं की माता थी। इसके 'काली', गंधवती, योजनगंधा, गंधकाली, सत्यवती, आदि नामान्तर भी प्राप्त हैं। वि.वि.--पौराणिक आख्यान के अनुसार मत्सगंधा उपरिचर वसु राजा की कन्या थी। इसकी माता का नाम अद्रिका था जो ब्रह्मा के शाप के कारण मछली का स्वरूप प्राप्त हुई अप्सरा थी। इस मछली स्वरूप अप्सरा से उत्पन्न होने के कारण इसके शरीर से मछली की गंध आती थी। इसी कारण यह 'मत्स्यगंधा' के नाम से प्रसिद्ध हुई। इसे मल्लाहों ने पाल--पोस कर बड़ा किया था। मल्लाहों के परिवार में रहकर वह नाव चलाने का कार्य करने लगी। एक दिन पाराशर.षि ने इसे देखा और अत्यधिक रूपवती होने के कारण दसके साथ समागम की इच्छा प्रकट की। पाराशर ऋषि से ही इसे कोमायविस्था में बेदव्यास नामक पुत्र की उत्पति हुई। कौमायविस्था में व्यास का जन्म होने के पश्चात्‌ शांतनु राजा से इसका विवाह हुआ जिससे इसे चित्रांगद और विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए