राजस्थानी सबदकोस

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दिन रो राजस्थानी अर्थ

  • शब्दभेद : सं.पु.

शब्दार्थ

  • सूर्योदय से सूर्यास्त तक का समय, सूर्य की किरणों के प्रकाश का समय। वि.वि.--पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती हुई स्वयं भी अपने अक्ष पर घूमती है। इस घूमने में उसका आधा भाग सूर्य के सामने रहता है जो सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है, उसे दिन कहते हैं और इसके विपरीत भाग में जो सूर्य के सामने नहीं होता है और वहां पर अंधेरा होता है, रात्रि कहलाता है। पर्याय.--अह, दिनंद, दिव, दिवस, दिवि, दुतिवांन, दूं, वासर
  • पृथ्वी के एक बार अपने अक्ष पर घूमने का समय, आठ प्रहर या चौबीस घंटे का समय। वि.वि.--साधारणत: दिन दो प्रकार का माना जाता है। नाक्षत्र तथा सौर या सावन। नाक्षत्र दिन का समय ठीक उतना ही होता है जितने में पृथ्वी एक बार अपने अक्ष पर घूम चुकती है अथवा यह दिन उतने समय का होता है जितने में किसी नक्षत्र को एक बार याम्योत्तर रेखा पर से होकर जाने और फिर दोबारा याम्योत्तर रेखा पर आने में लगता है। अत: इस दिन के मान (समय) में घटती बढ़ती नहीं होती है। ज्यांतिषी लोग शुद्धता के लिये इसी को व्यवहार में लाते हैं। सावन दिन सूर्योदय से पुन: सूर्योदय तक माना जाता है, यद्यपि यह समय सदा चौबीस घंटे का नहीं होता है। क्योंकि सूर्योदय सदैव एक ही निश्चित समय पर नहीं होता है। आजकल सरकारी दफ्तरों आदि में अर्द्धरात्रि (12 बजे) से पुन: अर्द्धरात्रि तक दिन माना जाता है
  • समय, काल, वक्त