सहाय थाय हरिगुण समंद, चढि तांम लहूं तट रामचंद।

मंगळ सरूप मंगळ सुमत्ति, सूरज्जि वंस धुज रांम सत्ति॥

जिंहीं ठांम रांम लेसे जनंम, धनि पुरी अजोध्या क्रंमध्रंम।

ऐवही उजागर पुरी ऐह, यछ्याक वंध वांछै अछेह॥

चाळीस कोस चोहटा चियारि, पचास कोस गढ़ प्रोळि पार।

पिहुलौ बजार अधकोस पंच, श्री खंड हाट कपाट संच॥

औछाड़ राज मारग अनूंप, सौंधा कस वस कलात सूप।

मंणि अटल प्रोळि तोरण अरांम, ध्वज कळस पताका धांमधांम॥

सोव्रन गौख रूपै सदंन, रोगांन चित्र ईंडै रतंन।

जाळियां कांति मोतियां जाळ, वेडूर खुंभी खंभे प्रवाळ॥

सतखणां महल महले सझाय, वरिखा कि सांझ बादळ वणाय।

सैं धज प्रसाद मंडप सुरिंद, सढ़ खंभ नांम नांगळ समंध॥

उद्यान वाग आंमांस अध्धि, मोतियां जड़ाव मंणि नील मध्धि।

आराम वापि सर वर असंखि, पिक मोर हंस चक वाक-पंखि॥

जल छिलत कोट खाई जितीह, वींटी कि सेसि अमरावतीह।

सुर पुरी अजोध्या व्है समांन, ऐव ही पुरी बीजी आंन॥

वह पुरी सुकवि लघु अकलि वाणि, पंग निहंग केम चित्रै सुपांणि॥

स्रोत
  • पोथी : राम रासौ ,
  • सिरजक : माधवदास दधवाड़िया ,
  • संपादक : शुभकरण देवल ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादमी, नई दिल्ली। ,
  • संस्करण : द्वितीय
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