राठउड़े उदियउ चउँड राउ, वेगड़इ सांड वीरम वियाउ।

साळवड़ी थाणउ दे सधीर, हठमल्ल राउ थाणे हमीर॥

राठौड़ौ में राव चूंडा प्रकट हुआ। वह बलशाली वृषभ के समान अतुल बल वाला था, मानो वह द्वितीय वीरम ही हो। उसने सालवाड़ी में अपना थाना स्थापित किया तथा वह स्वयं थाने में अमीरों की तरह रहने लगा॥

स्रोत
  • पोथी : छंद राउ जइतसी रउ (छंद राउ जइतसी रउ) ,
  • सिरजक : बिठु सुजा ,
  • संपादक : मूलचंद ‘प्राणेश’ ,
  • प्रकाशक : भारतीय विधा-मंदिर-प्रतिष्ठान, बीकानेर
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